सोमवार, 3 सितंबर 2018

BAN GANGA

बाण गंगा

       गंगा के नाम से सम्बन्धित ऐसा एक पावन तीर्थ-स्थल बिलाडा नगर के उत्तर में लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महादानी राजा बलि ने त्रिलोकी का राज्य और इन्द्र सिंहासन पाने के लिए सौ यज्ञ अलग-अलग स्थान पर किये थे। उसमें से पांच यज्ञ बिलाडा नगर के पास पंचायाग (जिसका अपभ्रंश रूप पिचियाक है) स्थान पर किये थे। यज्ञ में पवित्र गंगा जल की आवश्यकता थी। तब राजा बलि ने गंगा को अपने यज्ञ-अनुष्ठान में आने का निमन्त्रण दिया और गंगा-मैया की पूजा-अर्चना के बाद विधि विधान के अनुसार एक बाण पृथ्वी पर मारा। जिस स्थान पर बाण मारा उसी स्थान पर जल की धारा फूट निकली, उसे बाण-गंगा कहा जाने लगा। बाण गंगा जल-धारा इस धरती पर जब से बहने लगी है, यह धरती हरी-भरी बन गई है।
       बाण-गंगा का मुख्य कुण्ड पुरूषों (मर्दाना) के कुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। इसे निज कुण्ड भी कहते है। पानी से भरे हुए इस कुण्ड की लम्बाई व चौडाई 55 फुट तथा 45 फुट है। अन्दर पत्थर की बडी-बडी बुर्जें हैं। आश्चर्य होता है कि प्राचीन काल में बिना मशीनों के बडी-बडी बुर्जें किस प्रकार पानी में उतारी गईं होंगी पानी के भीतर बांधई में लोहा, शीशा, लकडी व चूना भी काम में लिया गया था।  बाण गंगा के मुख्य कुण्ड के पश्चिम में हनुमानजी (बजरंग बली) का मन्दिर हैं। मन्दिर की प्रतिमा बहुत पुरानी है।
  निज कुण्ड के दक्षिण में दो बडी-बडी छतरियां (स्मारक) हैं। इनमें पूर्व दिशा की तरफ बनी छतरी परम तपस्वी दीवान श्री रोहितासजी की छतरी के नाम से जानी जाती है। इसके पास वाली छतरी श्री भगवानदाजी दीवान साहब की है, इन दोनों छतरियों के पास जो छतरी है, वह दीवान रोहितासजी के बडे भाई चौथजी की छतरी है।
     इन दोनों छतरियों (स्मारकों) के सामने पश्चिम की तरफ गंगा माई का प्राचीन मन्दिर है जिसका अब जीर्णोद्धार हो चुका है।
 इन दोनों छतरियों (स्मारकों) के सामने पश्चिम की तरफ गंगा माई का प्राचीन मन्दिर है जिसका अब जीर्णोद्धार हो चुका है। चारभुजाधारी गंगा माई के सिर पर मुकुट और शरीर पर वस्त्राभूषण बहुत सुन्दर प्रतीत होते हैं।
       गंगा माई के मन्दिर के पास
 महादेवजी का एक पुराना मन्दिर है। इसमें राजा बलि को पाताल भेजने से जुडी मूर्ति देखने योग्य हैं, जो बहुत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। यहां एक बहुत बडा प्राचीन देवल भी है। 
प्रस्तुति- महेन्द्र कुमार जोशी।

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